दिसंबर की भोर

नितांत चुप्पी हैनिर्वात में बहती हवा मेरे कानों के पर्दों मेंमें सरसराहट कर रही हैऔर मेरे बग़ल में गहन निद्रा मेंबसोए आभास की उसाँसे एक लय में बहती सी किसी दिव्य मंत्र सा इस तरह सुन रही हूँ।जैसे में मेडिटेशन सीख रही हूँ। ऊनी शॉल लपेटे मैं बरामदे में आती हूँपौं फटने को आतुर है।फूलों … Read more

मैं लिखूँगी

मैं लिखना चाहती हूँउन लोगों के लिए सलाम और दुआजो समाज को अच्छाई दे जाते हैं।प्रत्यक्ष ही नहीअप्रत्यक्ष और दूरगामीलाभ से भीदूसरों को वंचित नही करते। मैं विध्वंस नही लिखूँगीन लिखूँगी कोई चालाकियाँमैं लिखूँगीईमानदारीऔर संवेदनशीलताजिनके बचे रहने सेदुनिया बचेगी और बचेंगेबुरे लोग भी.। मैं लिखूँगी प्रेम करनादिन-दुखियों सेकमजोर काया सेये मोल- भाव नही जानते।इच्छाओं की … Read more

वही तो हूँ मैं..

वही तो हूँ मैं.. वही तो हूँ मैं..जैसे तुमपिछली धूप मेंछोड़ गए थे,मुझेअपनी कुछ क़िताबों मेंख़्वाब बुनकररख गये थेमेज परइस अटूट विश्वास के साथक़िपढ़ लूँगीसारे चैप्टरबिना सवालजवाब किएइस धूप के लौट आने तककुछ भी तो नही बदलावही तुम हो .. वही मैं हूँ..आकाश गंगाओ का साथ है।जानते हो,हमारे भीतर भीचमकता हैरोजएक अलगसूरज,चाँद …… और सितारे … Read more