नेलकटर का ख़ौफ और आभास के दिल की बात

Facebook Whatsapp Linkedin Twitter Youtube Instagram सर्दी तो बा.. बा.. हो,कम होने का नाम ही नही ले रहा। बहुत दिन से सोच रहा था कि मम्मी को क्या हो गया।परकाया प्रवेश नही कर पा रही, शायद मैं ही उसकी रुह से कॉन्टैक्ट नही कर पा रहा। शायद इस बीच बढ़ते मेरे आलसपन से मम्मी थोड़ी … Read more

सड़कों पर सिनेमा

अजीब से दिन आ गए हैं। चार पहियों के दिन फिर गए हैं! घूमती पहियों की ओर देख लोग मोटर वाहनों को हाय हेलो की तर्ज पर इशारों ही इशारों में बुदबुदाते हैं-” ओ,मोटर वाहन भैया रे..थोड़ा रुक जा यार,जरा मुझे रोड़ पार करने दो।” वो इंजनदार सुनता कहाँ है।सड़कों में आदमी की बेफ़िक्रीपन और … Read more

ग्रोजा का मातृत्व

श्राद्ध का महीना चल रहा था, तारीख 11 सितंबर 2021.. एकदम भोर में जब आँगन के कोने में दूब घास के बीच एक काले रंग का कोई कीड़ा सा हिलते डुलते देखा तो मुझे लगा, शायद कोई चूहा फुदक रहा है,सुबह आँखें मलते गेट खोलने को यह सोचकर दौड़ पड़ना कि कहीं कामवाली उल्टे पाँव … Read more

रोजमर्रा की बातें

साल बहुत उम्दा नही तो बुरा भी नही गुजरा।अच्छा और संतुलित रहा। ज़िंदगी और समय का लेखा-जोखा बिल्कुल एक्यूरेट होता है।न इंच भर ऊपर न नीचे। बस बीच की इंच भर में ज़िंदगी की पेंडुलम समय के साथ हिलती-डुलती है। बस इंसानों को संतुलन ही सीखना होता है। जिसने ज़िंदगी को संतुलित करना सीख लिया … Read more

साल का पहला दिन

साल का पहला दिन…! हाऊ फैंटास्टिक.. ! वाला रहा, पहला कॉल अच्छी खबर से और पहला उपहार…कलम और बुद्धि के देवता जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा के पुत्र की प्रतिमा..! ओह ! मैं यूनिवर्स के सारे इशारे समझ रही हूँ। और उसे खूब प्यार भेज रही हूँ। पहली सेल्फ़ी भी … Read more

कुमाऊँ यूनिवर्सिटी के वित्त समिति की बैठक

जैसे ही मुझे जानकारी मिली कि मुझे फलाँ तारीख़ को कुमाऊँ यूनिवर्सिटी के वित्त समिति की बैठक में उपस्थित होना है। मन में उत्साह की लहरें स्वतः सवार हो आयी। मेरे दो बड़े भाइयों ने डी.एस.बी परिसर से ही अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की थी। मेरी माँ को चिट्ठी इसी परिसर में स्थित किसी … Read more

“जीवन की नई दिशा: उम्र का सफर”

कतई कन्फ्यूज मत होइएगा,कि ये जो तस्वीर वाली है,कोई पच्चीस साल की लड़की होगी,न..न.ठीक पच्चीस का दुगुना कितना होता है..? अनुमान लगा लो..हाहाहा…ठीक कह रही हूँ न,पता नही क्यों ..अब मुझे ये सब थोड़ा घुमा फिराकर बताना अच्छा लग रहा है।लाइफ में कुछ ट्विस्ट होना चाहिए है कि नही..!आज अर्धशतक की दहलीज़ पर सादर पहुँच … Read more

“धुला-धुला सा ख्वाब: कहानियाँ जीवन के रंग-बिरंगे सफरों से”

ख्वाबों को अपनी आँखों में सुरमा लगाना बड़ा पसंद आता है। और जानते हो!मुझसे मेरा ख़्वाब अकसर कहती है-“जिंदगी एक ही सतह पर चलने का नाम थोड़े ही ना है।”कुछ अतीत होते हैं।कुछ भविष्य के सपने होंगे और अभीजो वर्तमान है।वो कितना सुंदर है! कुछ अतीत भूलने के लिए और कुछ ताउम्र जीने के लिए … Read more

“शाखों का साथ: बरसों पुरानी दरख्त का संवाद”

रोज का सिलसिला है,दफ़्तर जाती हूँ,आती हूँ,आने-जाने के बीच जितनी अवधि शेष होती है,जिम्मेदारियों के बोझ को कुछ हल्का करती हूँ।जितनी हल्की होती जाती हूँ,दस्तूर जैसा…. बोझ भी बढ़ता ही जाता है।वैसे भी उबड़ खाबड़ पहाडियों पर चलने-फिरने के आदी बोझ से कब घबराएं हैं! कभी नही डरी! दुगुनी हिम्मत कर फिर कर्म क्षेत्र में … Read more