Abha Garkhal Bohra

श्रीमती आभा गर्खाल बोहरा, वित्त नियंत्रक उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में कार्यरत हूँ। वर्तमान में अपर निदेशक पेंशन का अतिरिक्त प्रभार भी देख रही हूँ।

हम 1998 बैच की पीसीएस अधिकारी हैं। पूर्व में माध्यमिक शिक्षा, ट्रेजरी ऑफिसर,खाद्य विभाग, उपनिबंधक सोसाइटी व जी. बी. पंत कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर में कम्पट्रोलर के पद में अपनी सेवाएं दे चुकी हूँ।

व्यस्त कार्य की निरंतर माँगों के बावजूद, मैं अपने शौक यानी लिखने के लिए कुछ समय निकाल लेती हूँ।

अनेक प्रतिबद्धताओं और समय की कमी के बीच, कलम को कागज पर उतारने का समय निकल लेती हूँ।

मेरे लिए, लेखन एक आश्रय के रूप में कार्य करता है – एक ऐसा स्थान जहां विचार स्वतंत्र रूप से प्रवाहित हो सकते हैं, बाहरी दुनिया के दबाव से मुक्त।

यह मेरे लिए सिर्फ एक शौक ही नहीं बल्कि जीवन की अस्त-व्यस्त लय के बीच संतुलन बनाए रखने और आनंद खोजने का एक आवश्यक साधन है।

Mrs. Abha Garkhal Bohra, Finance Controller,working in Uttarakhand Open University. Presently I am also looking after the additional charge of Additional Director Pension.

PCS officers of 1998 batch. Earlier, Secondary Education, Treasury Officer, Food Department, Deputy Director Society. I have served as Comptroller in G.B Pant Agricultural University, Pantnagar.

Despite the relentless demands of a busy schedule, I find some time for my hobby which is writing.

In the midst of numerous commitments and time constraints, the allure of putting pen to paper.

For me, writing serves as a refuge—a space where thoughts can flow freely, unencumbered by the pressures of the outside world.

It becomes not just a hobby but a necessary means of maintaining balance and finding joy amidst life’s chaotic rhythm.

Abha Garkhal Bohra

जिला पिथौरागढ़ के तहसील धारचूला स्थित सुदूर गाँव मोंगोंग (हिमखोला) के किसान दम्पति के घर 16 दिसम्बर को जन्मी,प्राइमरी शिक्षा गाँव में ही हुई।फिर धारचूला, दिल्ली,लखनऊ में अपने कैरियर के लिए संघर्षरत रही।जो मेरे आज उत्कृष्ट स्मृतियों में से एक है।

दो बेटों की माँ, गृहणी और सरकारी अफसर होना,बहुत ज्यादा जिम्मेदारियों के अहसास से भर देती है।।मैं खुद को भग्यशाली मानती हूँ कि इस ब्रह्मांड की अभूतपूर्व शक्ति ने मुझे ढेर सारी कार्यो को सफलतापूर्वक संपादित करने के लिए चुना,सो उस शक्ति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ।

सरकारी सेवा के इतर हमारा रुझान साहित्य में भी है किन्तु खुद को लेखक मानने में अभी मुझे वक़्त लगेगा। क्योंकि यह यात्रा हमने अभी-अभी शुरू की है।
2018 में हमारी एक कविता संग्रह प्रकाशित हुई है जो अपने छोटे दिव्यांग बेटे “आभास” के नाम से ही है। कोरोना काल में हमारी पहली उपन्यास “परछाई का घेरा” प्रकाशित हुआ।और हाल ही हमारी कहानी संग्रह “धुला-धुला” सा ख़्वाब” प्रकाशित हुआ है।पहला उपन्यास को पाठकों ने खूब प्यार और आशीर्वाद दिया। यह पुस्तक 45 दिन में ही आउट ऑफ स्टॉक हो गया था। इस किताब का दूसरा संस्मरण भी आ गया।

जनजातीय समुदाय की महिला होने के कारण वहाँ की भौगोलिक परिस्थितियों और सामाजिक अवस्थाओं के विषय में हमेशा जानकारी रखने के प्रति सजग रहती हूँ। ग्रामीण क्षेत्र की ऐसे वंचित वर्ग की महिलाएं और बच्चे जो सपने देखने से भी डरते हैं,उन्हें सपने देखने के लिए प्रेरित करती हूँ।उनके अभावों की जिंदगी में सकारात्मक रुख अपनाने की कोई वैधानिक विधि मेरे पास नही है, किन्तु सरल हृदय की ताकत को महसूस कर उनमें सकारात्मक ऊर्जा संचारित करने की हर संभव प्रयास करती हूँ।
मानवीय होना वरदान है,तप है। संवेदनाओं का बचा रहना,पीढ़ियों को बचाएं रखना है।अतः हमने ब्लॉग लिखना शुरू किया है।